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Thursday, July 23, 2015

सौगात


ज़िन्दगी ने दी ख़ुशी
तो मुस्कुरा उठे, ख़ुशी से हम
और जो दर्द-ए-ग़म दिया
तो भी हँसके, जी लिए हम
उससे क्या हम ग़िला करें
वो ज़िन्दगी हमारी है 
देती है गर वो, ग़म तो ये
सौगात भी हमको प्यारी है!

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