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Tuesday, October 28, 2014

हमसे मिली कल ज़िन्दगी

रोज़ की ही तरह फिर हमसे मिली कल ज़िन्दगी,
मिलते ही पूछने लगी कहिये मिज़ाज कैसा है

हमने कहा रुक तो ठहर कुछ पल हमारी बन्दगी,
थमके ज़रा बतलायेंगे इस दिल का हाल कैसा है

वो बोली क्या हुआ तुम्हें बदले हुए से लगते हो,
तुम तो ऐसे ना थे कभी जैसे की आज़ दिखते हो

हमने कहा चैन और सुकूं दिल का इक पल में खो गया,
ख़ुद समझ नहीं आता हमको आख़िर ये कैसे हो गया

इस दिल के सब जज़्बातों को ख़ामोश करके रखा था,
हर लम्हे को बस यादों में महफूज़ करके रखा था

पर हर कोशिश नाक़ाम हुई दिल जीता हमारी हार हुई,
जब चाहत की बरसात हुई दिल की दुनिया आबाद हुई

ये प्यार का ही तो जादू है जिसने की हमको बदल दिया,
जो था कभी इक पत्थर दिल उसको भी मोम कर दिया

ये सुनके ख़ुशी से झूम उठी और कहने लगी फिर ज़िन्दगी,
खुश रहो हमेशा यूं ही तुम अब तो यही दुआ है मेरी