बड़ा अजीब है यादों का सिलसिला, एक बार शुरू हो जाए तो फ़िर, ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेता....!
कुछ रंग-बिरंगी यादें... कुछ कही-अनकही बातें... कुछ किस्से पुराने... कुछ नए अफ़साने...
Wednesday, October 21, 2015
चलिए थोड़ा मुस्कुरा लें..!
चलिए थोड़ा
मुस्कुरा लें, कुछ
पल यूँ ही
गुनगुना लें, ये
ज़िंदगी मिली है
तो क्यों ना,
इसे एक बार
प्यार से गले
लगा लें…!!
Tuesday, October 20, 2015
तुम तो गिरगिट हो यार!
जब भी मिलती
हूँ, मैं
तुमसे
लगती हो हर
बार नई
एक नया ही रूप-रंग
दिखता है, हर बार तुम्हारा
कुछ ना कुछ
होता है
जिसमें
पहले से बिल्कुल
जुदा।
सोच में पड़
जाती हूँ,
तब मैं
कि आख़िर, क्या
हो तुम?
वो, जो पहले देखी
थी मैंने
या फिर वो
जो आज दिखती
हो तुम।
लोग तो कहते
हैं, ज़िंदगी
तुम्हें
पर मुझसे तो
पूछके देखो
एक बार
मैं तो यही
कहूँगी
कुछ और नहीं
तुम तो गिरगिट हो यार!
Sunday, October 18, 2015
हसरतों की बारिश
हसरतों की बारिश में भीगना,
क्या आपका शौक है?
यूँ ही तो कोई मचल नहीं जाता,
बादलों की एक झलक देखकर।
क्या आपका शौक है?
यूँ ही तो कोई मचल नहीं जाता,
बादलों की एक झलक देखकर।
Monday, October 12, 2015
कोशिशों का दौर
चलते रहना चाहिए,
कोशिशों का दौर।
बढ़ते रहने चाहियें कदम,
ज़िंदगी की राह पर।
क्या पता,
कब किस मोड़ पर,
मंज़िल से मुलाक़ात हो जाए!
कोशिशों का दौर।
बढ़ते रहने चाहियें कदम,
ज़िंदगी की राह पर।
क्या पता,
कब किस मोड़ पर,
मंज़िल से मुलाक़ात हो जाए!
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