बस यूँ ही गुज़र जाएं कुछ लम्हें,
ख़ुद को ख़ुद ही में तलाशते हुए।
कि मिल जाए सुक़ून की मंज़िल,
इस बेचैन दिल को भटकते हुए।
ख़ुद को ख़ुद ही में तलाशते हुए।
कि मिल जाए सुक़ून की मंज़िल,
इस बेचैन दिल को भटकते हुए।
कुछ रंग-बिरंगी यादें... कुछ कही-अनकही बातें... कुछ किस्से पुराने... कुछ नए अफ़साने...