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Sunday, July 26, 2015

लाइसेंस

कितना अच्छा होता!
ग़र एक लाइसेंस मिल जाता
सपनों की दुनिया में जीने का

ऐसी दुनिया,
जिसके हर एक कोने में
होती बस मेरे अरमानों की झलक

वो अरमान,
जिनका पूरा हो पाना
हकीक़त की दुनिया में मुमकिन नहीं

क्योंकि हकीक़त,
सपनों के जैसी हसीं नहीं होती
और अपनी होकर भी अपनी नहीं होती

ग़र अपनी होती,
तो फिर बात ही क्या थी
फिर किसी लाइसेंस की ज़रुरत कहाँ थी

अरे हाँ!
ज़रूरत से याद आया
क्या-क्या चाहिए लाइसेंस बनवाने के लिए

चाहिए मतलब?
मतलब आई-डी प्रूफ़ ज़नाब
पैन कार्ड, आई-कार्ड या आधार कार्ड

कार्ड?
ना जी ना!
ये सब यहाँ नहीं चलता

चलता है
तो बस दिल का प्रूफ़
हो तो दिखाओ, फ़ोटो कॉपी जमा कराओ
दिखाएँ?
फोटो कॉपी जमा कराएं??
पर अब हम दिल का प्रूफ़ कहाँ से लाएँ???

कहाँ से लाएँ?
उसको जो पहले ही ग़ुम है
जिसको ढूंढने की ख़ातिर ही चाहिए

लाइसेंस
जी हाँ, लाइसेंस
सपनों की दुनिया में जीने का!

Saturday, July 25, 2015

मनमर्ज़ी

फूलों का तो बस कारोबार है अपना,
दोस्ती तो हम काँटों से किया करते हैं
लाख़ कहे दुनिया हमको बुरा भला,
हम तो अपनी मनमर्ज़ी किया करते हैं

Friday, July 24, 2015

ऐसा होगा ज़रूर

कुछ तो ऐसा होगा ज़रूर
जिससे आप इत्तेफ़ाक़ रखते हो
यूँ ही कोई ख़ामोश नहीं रहता
महफ़िल में अपनों के होते हुए।

कोई तो ऐसा होगा ज़रूर
जो इस ख़ामोशी से इत्तेफ़ाक रखता हो
यूँ ही कोई बैठकर तकता नहीं
दरवाज़े पर किसी के आने की राह।

Thursday, July 23, 2015

सौगात


ज़िन्दगी ने दी ख़ुशी
तो मुस्कुरा उठे, ख़ुशी से हम
और जो दर्द-ए-ग़म दिया
तो भी हँसके, जी लिए हम
उससे क्या हम ग़िला करें
वो ज़िन्दगी हमारी है 
देती है गर वो, ग़म तो ये
सौगात भी हमको प्यारी है!

Tuesday, July 21, 2015

आँसू और हँसी

ना आँसू सस्ते हैं और ना हँसी महँगी,
दाम दोनों का ही लगाना मुश्किल है

Sunday, July 19, 2015

बारिश की बूँदें

बैठी थी खुले आसमां तले,
सोच रही थी कुछ आँखें मूंदे-मूंदे
ना जाने कब घिर आए बादल,
और भिगो गई मुझे बारिश की बूँदें

जब भी मिली मुझसे,
दर्द देकर चलती बनीं
इन बारिश की बूंदों से तो,
मेरी कभी बनके भी नहीं बनी
जब भी चाहा थाम लूँ इनको,
बाहें जो फैलाई ख़ुशी से
जल गई हथेलियाँ बस,
आहें सिसकती रहीं

ग़लती बारिश की बूंदों की है,
या फिर मेरे मिज़ाज की
ये तय कर पाना तो शायद,
खुद ऊपर वाले के बस में भी नहीं
गर ऐसा मुमकिन हो पाता,
तो समां कुछ और ही होता
हल हो जाती कितनी ही मुश्किलें,
ना बाकी कोई इम्तिहां होता

बारिश और मेरे बीच में फिर,
एक प्यारा सा रिश्ता होता
फिर ना ये तन्हाई होती,
और ना ये सूनापन होता
पर ये तो बस एक सपना है,
जब तक है आँखों में, अपना है

जो चला गया एक बार तो,
फिर लौटकर ना आएगा
पीछे बस एक यादों का,
कारवां रह जाएगा

और रह जाएंगी तो बस,
ये बारिश की बूँदें
मुझे भिगोने फिर आएंगी,
ये बारिश की बूँदें

Tuesday, July 14, 2015

अपने दिल की दास्तां हमको बयां करनी नहीं

गुज़रते हैं जब भी तेरी,
यादों के गलियारों से
आवाज़ें देती हैं दस्तक,
दिल के किसी दरवाज़े से

रह-रह कर पुकारती हैं,
वक़्त की परछाइयां
पूंछती हैं हाल हमारा,
हमसे फिर तन्हाइयां

बेअसर हैं अब हमपे,
उन आवाज़ों की कसक
जिनसे कभी हुआ करती थी,
दिल की दुनिया में रौनक़

ख़त्म हो चुका है दौर,
बेशुमार ख़ुशफ़हमियों का
अब हमें कोई शौक़ नहीं,
किसी से रूबरू होने का

कुछ पलों का ख़ुशनुमा-सा,
दौर था जो गुज़र गया
ख़्वाबों की हकीक़त के आगे,
वादा-ए-उल्फ़त मुकर गया

फ़र्क़ क्या पड़ता है अब,
हम कैसे हैं कैसे नहीं
अपने दिल की दास्तां,
हमको बयां करनी नहीं