भटकती हैं हसरतें
लेकर के दिल में हसरतें
कुछ-एक तेरे होने की
और कुछ तेरे न होने की
तेरा होना कितना ज़रूरी है!
तेरे होने से फ़र्क़ क्या पड़ता है?
तू नहीं तो फ़िर तेरी
हसरतों का वज़ूद क्या है?
सिर्फ़ इतना
कि तू इक ख़्वाब है
जिसमें कि
रंग हज़ार हैं
हिस्सा है तू
इक किस्से का
इक अनसुनी
फ़रियाद है !
लेकर के दिल में हसरतें
कुछ-एक तेरे होने की
और कुछ तेरे न होने की
तेरा होना कितना ज़रूरी है!
तेरे होने से फ़र्क़ क्या पड़ता है?
तू नहीं तो फ़िर तेरी
हसरतों का वज़ूद क्या है?
सिर्फ़ इतना
कि तू इक ख़्वाब है
जिसमें कि
रंग हज़ार हैं
हिस्सा है तू
इक किस्से का
इक अनसुनी
फ़रियाद है !