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कुछ रंग-बिरंगी यादें... कुछ कही-अनकही बातें... कुछ किस्से पुराने... कुछ नए अफ़साने...
Tuesday, March 21, 2017
Monday, March 20, 2017
कुछ चीज़ें और एक वज़ह
कभी-कभी कुछ चीज़ें बहुत पीछे छूट जाती हैं, अक्सर उस राह पर.... जहाँ से एक बार गुज़रने के बाद फिर कभी वहाँ जाना ही नहीं हुआ। अक्सर ऐसी चीज़ों का कोई मोल नहीं होता, क्योंकि अगर ऐसा होता तो.... उन्हें सहेज कर रखा जाता, ना कि इस तरह कहीं किसी भी राह पर यूँ ही छोड़ दिया जाता। लेकिन क्या असल में ऐसा होता है? क्या वाकई कुछ चीज़ें भूल से कहीं छूट जाती हैं? या फिर हम उन चीज़ों को वहाँ जान बूझकर छोड़ देते हैं, ताकि कोई तो एक वज़ह रहे उस राह पर वापस जाने की!
Friday, March 17, 2017
जादूगर का जादू
कुछ पलों के लिए ही सही
ठहर जाता है वक़्त भी
जब हैरानगी से भरी निगाहें
ढूँढ़ती हैं पता
एक अदद जादूगर का
जिसे आता हो ऐसा जादू
जिसका कोई तोड़ ना हो
पूरी दुनिया छान ली जाए तो
उससे ज़्यादा जादुई, कुछ और ना हो
उस जादू का जादू देखने को
उस जादू का जादू देखने को
जाने क्यों जिये जाते हैं लोग
कुछ और नहीं, बस भरम है ये
क्यों नहीं समझ पाते हैं लोग
समझेंगे आख़िर कैसे भला
नादां हैं, नहीं कुछ जानते हैं
बात बड़ी सीधी-सी है
चलिए हम ही बतलाते हैं
दरअसल कुछ भी यहाँ असल नहीं
दरअसल कुछ भी यहाँ असल नहीं
ना जादूगर, ना उसकी छड़ी
बस भरम का मायाजाल ये है
बस भरम का मायाजाल ये है
सब कुछ नज़रों का धोखा है
जिस जादूगर को ढूँढते हैं
सब जिसकी बातें करते हैं
वो तो बैठा है दूर कहीं
जिसमें सब खोये-खोये हैं
ये तो बस उसका जादू है
ये तो बस उसका जादू है
जिसके आगे ना चले किसी की
जिसके आगे सब है बेअसर
जिसके आगे सब है बेअसर
ये खेल है उस जादूगर का
उसके जादू का है ये असर!
उसके जादू का है ये असर!
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