कभी-कभी कुछ चीज़ें बहुत पीछे छूट जाती हैं, अक्सर उस राह पर.... जहाँ से एक बार गुज़रने के बाद फिर कभी वहाँ जाना ही नहीं हुआ। अक्सर ऐसी चीज़ों का कोई मोल नहीं होता, क्योंकि अगर ऐसा होता तो.... उन्हें सहेज कर रखा जाता, ना कि इस तरह कहीं किसी भी राह पर यूँ ही छोड़ दिया जाता। लेकिन क्या असल में ऐसा होता है? क्या वाकई कुछ चीज़ें भूल से कहीं छूट जाती हैं? या फिर हम उन चीज़ों को वहाँ जान बूझकर छोड़ देते हैं, ताकि कोई तो एक वज़ह रहे उस राह पर वापस जाने की!
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