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Tuesday, January 19, 2016

इंतेज़ार

चले आना तुम उस रोज़
जब, सब ख़त्म होने को हो
साँसें धीमी होते-होते
आख़िरकार, थमने को हो
तुम्हें ना देखा उस पल
तो कभी चैन ना पाएँगे
बनके रूह हम यहीं
भटकते रह जाएँगे
तब भी करेंगे
बस, और बस
इक तुम्हारा इंतेज़ार।

एक ना एक दिन तड़पकर
तुम हमें बुलाओगे
हर तरफ ढूँढोगे हमको
पर, कहीं ना पाओगे
दूर-दूर तक, कहीं भी
ना तुम्हें, मिलेगा फिर
कोई नामो-निशां हमारा
रोना/ सिसकना चाहे जितना
हो सके, लेना चिल्लाना
पर जानते हो?
हम कभी नहीं आएँगे।

तब
तुम भी करना, हमारी तरह
कभी ना ख़त्म होने वाला
किसी आने वाले का इंतेज़ार!

Thursday, January 7, 2016

कभी-कभी

कभी-कभी ख़ामोश रहकर कुछ पल खुद से सवाल करना और फ़िर उसका जवाब ढूँढना सबसे वाजिब काम लगता है...!

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कुछ बातों के ना सिर होते हैं और ना पैर, पर ऐसी ही बातें कभी-कभी पूरी ज़िन्दगी का रुख बदल देती हैं। (18/01/16, 05:05 PM)

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उड़ते हुए तिनके की तरह... चली आती हैं तेरी यादें... यूँ ही... कभी-कभी!
(28/02/16, 01:49 AM)

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मुस्कुराकर.. करती हैं बातें... ख़ामोशियाँ.. कभी-कभी!
(28/02/16, 01:55 AM)

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