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Monday, July 10, 2017

एक हसीं ख़्वाब की हसरत

वो जो हसीं ख़्वाब है ना,
जो रहता है, तुम्हारी आँख के एक कोने में छुपकर।

उसे अक्सर मैंने ये कहते सुना है,
चाहत, और चाहत, कितनी भी चाहत कर लो तुम।

मुझे हक़ीक़त में तब्दील कर पाना,
अब तुम्हारे तो क्या, किसी के भी बस की बात नहीं।

हक़ीक़त की धुंधली दुनिया का हिस्सा बन जाने से,
कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत है, ख़्वाब बनकर तुम्हारी आँखों में रहना।

और सौ झूठ बोलने से बेहतर है,
एक ही बार में ये कह देना, कि अब आदत-सी हो गई है तुम्हारी।

और इसीलिए तुम्हारी आँखों के सिवा,
अब और कहीं भी रह पाना, मेरे लिए मुमकिन नहीं।

Sunday, July 9, 2017

फ़ासला

फ़ासला बस दो कदमों का था
एक-एक कदम बढ़ाना था
पर सवाल तो आख़िर ये था कि
पहला कदम बढ़ाता कौन!