Pages

Monday, August 24, 2015

फ़रेब

तेरे जिस दर्द से कभी
हमदर्दी थी मुझे
आज मालूम हुआ
तेरा वो दर्द
सिर्फ़ एक फ़रेब था
कुछ और नहीं......
ठीक कहा ना मैंने?

Friday, August 21, 2015

ख़ामोशी बोलती है!

ज़ुबां चुप हो
तो आँखें बोलती हैं
आँखें चुप हों
तो आहें बोलती हैं
आहें भी चुप हों
तो धड़कन बोलती है
और जब
धड़कन भी चुप हो जाए तो
तो फिर
ख़ामोशी बोलती है!

Wednesday, August 12, 2015

क़दमों को अपने ज़मीं पर ही रखिए!

क़दमों को अपने
ज़मीं पर ही रखिए

क्योंकि
सातवें आसमान पर
पहुँचने के बाद
हाथ मिलाने
गले लगाने
चाहने वाले
हज़ारों मिल जायेंगे

पर
जिस दिन
चकाचौंध से रोशन
उस सातवें आसमान से
गिरकर नीचे आएंगे

उस दिन
अपने आप को फिर से
इसी ज़मीं पर पाएंगे!

Tuesday, August 11, 2015

ज़ख़्म

कहते हैं वक़्त हर ज़ख़्म भर देता है पर क्या हर कहावत हमेशा सच होती है?
शायद नहीं,
क्योंकि कुछ लोग ये भी कहते हैं कि उम्र गुज़र जाती है पर कुछ ज़ख़्म कभी नहीं भरते।

Saturday, August 8, 2015

बचकानी बातें

बचकाना सवालों के जवाब भी बचकाना हो ऐसा ज़रूरी तो नहीं,
पर बचकानी बातें ही अक्सर ज़िंदगी का अनमोल ख़ज़ाना होती हैं।

ऐसी महारत किस काम की

माना ये हमने, कि झूठ बोलने में
माहिर हैं आप
पर ऐसी महारत किस काम की

कभी राहगीरों से
कभी नातेदारों से
कभी जानकारों से
और कभी तो
अज़ीज़ दोस्तों से
झूठ बोलते-बोलते
थकते नहीं क्या आप?
नज़रें मिलाकर
अदब से
और मुस्करा कर
प्यार से
पूरे होशो-हवास में
झूठे वादे
जी हाँ,
आपने सही सुना/ पढ़ा
झूठे वादे ही तो
करते हैं आप
कर कैसे लेते हैं
आप ये सब ज़नाब
अरे हाँ!
याद आया
आप तो कारोबारी हैं
वो क्या कहते हैं, अंग्रेज़ी में?
बिज़नेसमैन !
वही हैं ना आप
शायद इसीलिए तो
दिन रात सिर्फ़
मुनाफ़े का हिसाब
लगाते-लगाते
बेवज़ह मुस्कुराना
तन्हाई में गनगुनाना
रूठों को मनाना
रिश्तों को निभाना
वादों को निभाना
सब भूल गए हैं आप 

झूठ बोलकर, जो की हासिल
ऐसी दौलत और शोहरत
किस काम की
अपनों को खोकर, जो पाई आपने
ऐसी शानो-शौक़त
किस काम की
माना ये हमने, कि झूठ बोलने में
माहिर हैं आप
पर ऐसी महारत किस काम की!