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Saturday, October 8, 2016

बातें

बातें... जो कभी शुरू ही नहीं हुईं
बातें... जिनका ख़त्म हो पाना, नामुमकिन है

बातें... जो ना होतीं तो सब कुछ होता ठीक वैसा ही, जैसा सदियों से होता आया है
बातें... जो होतीं तो कितना कुछ बदल जाता, शायद पूरी की पूरी एक ज़िन्दगी

बातें... जिनमें ढ़ेरों अक़्स दिखाई देते हैं उनके, जिनका कहीं कोई वजूद ही नहीं
बातें... जिनकी तह तक पहुँचने की कुलबुलाहट, कर देती है बेचैन वक़्त बेवक़्त

बातें... जिनके सिरे ढूँढ पाना, इस दुनिया का सबसे पेचीदा काम है
बातें... जिन्हें समझ पाना, दिल और दिमाग दोनों के ही बस में नहीं

बातें... जिन्हें करते-करते ख़त्म हो जाए, ये ज़िन्दगी का संज़ीदा खेल
बातें... जिनमें सिमट जाए बरसों की कहानी, महज़ एक छोटे-से पल में

बातें... जिनसे आती हो ख़ुशबू, किसी अधखिले जंगली फूल की
बातें... जिनमें देती हो सुनायी, आहट हवा के मदमस्त झोंकों की

बातें... जिनके बिना हर एक बात अधूरी है, हर कहानी अधूरी
बातें... जिनका ज़िक्र कभी कोई, कहीं भूले से भी नहीं करता

बातें... जिन्हें करते-करते वक़्त कब गुज़र जाए, पता भी ना चले
बातें.......

अरे, अब बस भी कीजिए! ज़्यादा बातें करना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता, किसी ने बताया नहीं क्या आपको? अगर इसी तरह बातें करते रहे तो बातें करना ही भूल जाएंगें, ये तक याद नहीं रहेगा कि क्या कहना था और क्या नहीं कहना था। बातें एक जादुई नशे की तरह होती हैं, जो कब हमें अपनी गिरफ़्त में ले लेती हैं पता नहीं चलता। इसलिए कुछ पल ख़ामोश भी रहा कीजिए।

लेकिन हाँ, चौकन्ने रहियेगा! कहीं फ़िर आपकी ख़ामोशी ही आपसे बातें ना करने लग जाए!

Wednesday, July 13, 2016

ख़ुशफ़हमियाँ

ख़ुश रहने के लिए क्या चाहिए?

ज़्यादा कुछ नहीं, बस थोड़ी-सी..... ख़ुशफ़हमियाँ!!


Tuesday, May 10, 2016

ख़यालों का जाल

बुनते रहना ख़यालों का जाल और उलझ जाना खुद ही उनमें।

जानते हो क्यों?

नहीं जानते ??

क्योंकि... तुम्हारी असली जगह उस जाल के बीचों-बीच है।

यकीन नहीं होता मुझ पर !

तो ठीक है, कुछ पल सिर्फ़... और सिर्फ़... अपने ख़यालों के साथ बिताओ। कुछ उनकी सुनो, कुछ अपनी कहो और फिर बताना...

Sunday, February 28, 2016

अनसुनी फ़रियाद

भटकती हैं हसरतें
लेकर के दिल में हसरतें
कुछ-एक तेरे होने की
और कुछ तेरे न होने की

तेरा होना कितना ज़रूरी है!
तेरे होने से फ़र्क़ क्या पड़ता है?
तू नहीं तो फ़िर तेरी
हसरतों का वज़ूद क्या है?

सिर्फ़ इतना
कि तू इक ख़्वाब है
जिसमें कि
रंग हज़ार हैं
हिस्सा है तू
इक किस्से का
इक अनसुनी
फ़रियाद है !

Tuesday, January 19, 2016

इंतेज़ार

चले आना तुम उस रोज़
जब, सब ख़त्म होने को हो
साँसें धीमी होते-होते
आख़िरकार, थमने को हो
तुम्हें ना देखा उस पल
तो कभी चैन ना पाएँगे
बनके रूह हम यहीं
भटकते रह जाएँगे
तब भी करेंगे
बस, और बस
इक तुम्हारा इंतेज़ार।

एक ना एक दिन तड़पकर
तुम हमें बुलाओगे
हर तरफ ढूँढोगे हमको
पर, कहीं ना पाओगे
दूर-दूर तक, कहीं भी
ना तुम्हें, मिलेगा फिर
कोई नामो-निशां हमारा
रोना/ सिसकना चाहे जितना
हो सके, लेना चिल्लाना
पर जानते हो?
हम कभी नहीं आएँगे।

तब
तुम भी करना, हमारी तरह
कभी ना ख़त्म होने वाला
किसी आने वाले का इंतेज़ार!

Thursday, January 7, 2016

कभी-कभी

कभी-कभी ख़ामोश रहकर कुछ पल खुद से सवाल करना और फ़िर उसका जवाब ढूँढना सबसे वाजिब काम लगता है...!

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कुछ बातों के ना सिर होते हैं और ना पैर, पर ऐसी ही बातें कभी-कभी पूरी ज़िन्दगी का रुख बदल देती हैं। (18/01/16, 05:05 PM)

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उड़ते हुए तिनके की तरह... चली आती हैं तेरी यादें... यूँ ही... कभी-कभी!
(28/02/16, 01:49 AM)

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मुस्कुराकर.. करती हैं बातें... ख़ामोशियाँ.. कभी-कभी!
(28/02/16, 01:55 AM)

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