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Tuesday, October 28, 2014

हमसे मिली कल ज़िन्दगी

रोज़ की ही तरह फिर हमसे मिली कल ज़िन्दगी,
मिलते ही पूछने लगी कहिये मिज़ाज कैसा है

हमने कहा रुक तो ठहर कुछ पल हमारी बन्दगी,
थमके ज़रा बतलायेंगे इस दिल का हाल कैसा है

वो बोली क्या हुआ तुम्हें बदले हुए से लगते हो,
तुम तो ऐसे ना थे कभी जैसे की आज़ दिखते हो

हमने कहा चैन और सुकूं दिल का इक पल में खो गया,
ख़ुद समझ नहीं आता हमको आख़िर ये कैसे हो गया

इस दिल के सब जज़्बातों को ख़ामोश करके रखा था,
हर लम्हे को बस यादों में महफूज़ करके रखा था

पर हर कोशिश नाक़ाम हुई दिल जीता हमारी हार हुई,
जब चाहत की बरसात हुई दिल की दुनिया आबाद हुई

ये प्यार का ही तो जादू है जिसने की हमको बदल दिया,
जो था कभी इक पत्थर दिल उसको भी मोम कर दिया

ये सुनके ख़ुशी से झूम उठी और कहने लगी फिर ज़िन्दगी,
खुश रहो हमेशा यूं ही तुम अब तो यही दुआ है मेरी

Saturday, April 12, 2014

हाथों की लकीरें पढ़ते थे

हाथों की लकीरें पढ़ते थे,
हम ख़ुद से पूछा करते थे
है किसका नाम लिखा इनमें,
है किसका साथ लिखा इनमें

अक्सर दिल हमसे कहता था,
सौ बातें पूछा करता था
हम कहते थे हम क्या जानें,
ये बात तो बस रब ही जाने

तब दिल कहता नादान हो तुम,
सब जानके भी अनजान हो तुम
हम हँसकर बात बदल देते,
और आँखों को बंद कर लेते

फिर इक दिन ऐसा भी आया,
इस दिल को जब कोई भाया
दिल बोला अब तो मान भी लो,
जज़्बातों को पहचान भी लो

दिल की बातों को जब माना,
है प्यार क्या हमने तब जाना
उस पल हमको एहसास हुआ,
हमको भी किसी से प्यार हुआ

फिर यादों में फरियादों में,
इस दिल के सब जज़्बातों में
बस आपका नाम लिखा हमने,
बस आपका साथ लिखा हमने

Wednesday, January 22, 2014

तन्हाई का पहरा है

ये लम्हा भी बीत गया,
और रात अनोखी आ गई
चारों तरफ सन्नाटा है,
और ख़ामोशी सी छा गई

पर दिल के किसी इक कोने से,
फ़िर देता है आवाज़ कोई
अरमानों की उस बस्ती में,
वहाँ छेड़ता है फ़िर साज़ कोई

आवाज़ ये अनजानी सी है,
पर पहचाना सा चेहरा है
जिस गली में अब हम रहते हैं,
वहाँ तन्हाई का पहरा है

तन्हा ही सही ज़िंदा तो है हम,
जीने के लिए इक वज़ह तो है
वरना अपनों के होते भी,
दुनिया में कोई अकेला है

उसकी हर आह पे जाने क्यूँ ,
दिल तड़प-तड़प रह जाता है
वो हाथ जो उसकी ओर बढ़ा,
ना जाने क्यूँ थम जाता है

ख़ामोश ज़ुबां है फिर भी क्यूँ ,
ये आँखें बोला करती हैं
हम लाख छुपायें ये लेकिन,
हर दर्द बयां कर देती हैं

अब किससे कहें और कैसे कहें,
अपने दिल के जज़बातों को,
तन्हाई से पूछा करते हैं,
क्या देखा है तुमने बहारों को

जब-जब कोई तारा टूटा,
बस एक दुआ हमने माँगी
उसकी हर चाहत पूरी हो,
हमने तो यही मन्नत माँगी