Pages

Saturday, April 12, 2014

हाथों की लकीरें पढ़ते थे

हाथों की लकीरें पढ़ते थे,
हम ख़ुद से पूछा करते थे
है किसका नाम लिखा इनमें,
है किसका साथ लिखा इनमें

अक्सर दिल हमसे कहता था,
सौ बातें पूछा करता था
हम कहते थे हम क्या जानें,
ये बात तो बस रब ही जाने

तब दिल कहता नादान हो तुम,
सब जानके भी अनजान हो तुम
हम हँसकर बात बदल देते,
और आँखों को बंद कर लेते

फिर इक दिन ऐसा भी आया,
इस दिल को जब कोई भाया
दिल बोला अब तो मान भी लो,
जज़्बातों को पहचान भी लो

दिल की बातों को जब माना,
है प्यार क्या हमने तब जाना
उस पल हमको एहसास हुआ,
हमको भी किसी से प्यार हुआ

फिर यादों में फरियादों में,
इस दिल के सब जज़्बातों में
बस आपका नाम लिखा हमने,
बस आपका साथ लिखा हमने

No comments:

Post a Comment