बेवज़ह मुस्कुराने का हुनर आपमें हो शायद
पर बदकिस्मती कहिये या बदमिजाज़ी
हमें ऐसे शौक़ पालने का कोई शौक़ नहीं
अब आप कहेंगे इतनी बेरुख़ी अच्छी नहीं
तो ज़रा गौर फ़रमाइये!
अच्छी-बुरी का हिसाब लगाना
हमारी तो छोड़िये, हमारी फ़ितरत की भी फ़ितरत नहीं
कितनी भी बेरूख़ी क्यूँ न सही
पर ये हमारी बदमिजाज़ी, इतना तो यक़ीं दिलाती है
कि कुछ हो, या न हो सब कुछ होकर भी
बेअदब-सी इस ज़िन्दगी में थोड़ा-सा अदब बाकी है अभी!
पर बदकिस्मती कहिये या बदमिजाज़ी
हमें ऐसे शौक़ पालने का कोई शौक़ नहीं
अब आप कहेंगे इतनी बेरुख़ी अच्छी नहीं
तो ज़रा गौर फ़रमाइये!
अच्छी-बुरी का हिसाब लगाना
हमारी तो छोड़िये, हमारी फ़ितरत की भी फ़ितरत नहीं
कितनी भी बेरूख़ी क्यूँ न सही
पर ये हमारी बदमिजाज़ी, इतना तो यक़ीं दिलाती है
कि कुछ हो, या न हो सब कुछ होकर भी
बेअदब-सी इस ज़िन्दगी में थोड़ा-सा अदब बाकी है अभी!