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Sunday, July 26, 2015

लाइसेंस

कितना अच्छा होता!
ग़र एक लाइसेंस मिल जाता
सपनों की दुनिया में जीने का

ऐसी दुनिया,
जिसके हर एक कोने में
होती बस मेरे अरमानों की झलक

वो अरमान,
जिनका पूरा हो पाना
हकीक़त की दुनिया में मुमकिन नहीं

क्योंकि हकीक़त,
सपनों के जैसी हसीं नहीं होती
और अपनी होकर भी अपनी नहीं होती

ग़र अपनी होती,
तो फिर बात ही क्या थी
फिर किसी लाइसेंस की ज़रुरत कहाँ थी

अरे हाँ!
ज़रूरत से याद आया
क्या-क्या चाहिए लाइसेंस बनवाने के लिए

चाहिए मतलब?
मतलब आई-डी प्रूफ़ ज़नाब
पैन कार्ड, आई-कार्ड या आधार कार्ड

कार्ड?
ना जी ना!
ये सब यहाँ नहीं चलता

चलता है
तो बस दिल का प्रूफ़
हो तो दिखाओ, फ़ोटो कॉपी जमा कराओ
दिखाएँ?
फोटो कॉपी जमा कराएं??
पर अब हम दिल का प्रूफ़ कहाँ से लाएँ???

कहाँ से लाएँ?
उसको जो पहले ही ग़ुम है
जिसको ढूंढने की ख़ातिर ही चाहिए

लाइसेंस
जी हाँ, लाइसेंस
सपनों की दुनिया में जीने का!

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