रुकिए ज़नाब!
अगली चाल ज़रा,
सम्भल कर चलिएगा।
ये शतरंज की बिसात नहीं,
ज़िन्दगी का खेल है।
इसके दांव-पेंच तो,
अच्छे अच्छों को भी,
उलझा देते हैं अक्सर।
और आप तो,
अभी नौसिखिए हैं!
अगली चाल ज़रा,
सम्भल कर चलिएगा।
ये शतरंज की बिसात नहीं,
ज़िन्दगी का खेल है।
इसके दांव-पेंच तो,
अच्छे अच्छों को भी,
उलझा देते हैं अक्सर।
और आप तो,
अभी नौसिखिए हैं!
No comments:
Post a Comment