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Sunday, November 29, 2015

हम तुम

हम अदरक वाली चाय बलमवा तुम कैफ़े की कॉफ़ी

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हम तो ठहरे भीम पलासी और तुम राग भैरवी

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हम सर्द सुबह हैं पूस की और तुम जेठ की तपती दुपहरी

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हम तो निंबोली नीम की और तुम शहद की चाशनी  (15/12/15 - 01:40 AM)

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हम ठहरे रेत किनारे की और तुम सागर के मोती  (21/01/16 - 03:00 PM)

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ये हम तुम की मीठी-सी तकरार है जो हमेशा चलती रहती है..... और अभी भी जारी है..... 

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